हर बार जब नया साल आता है साथ में कुछ सवाल भी लाता है. कैसा होगा नया वर्ष हमारे लिए? क्या सिर्फ़ तारीख़ बदलेगी या हमारी ज़िंदगी मे कुछ बदलाव आएँगे? एक उम्मीद सी मन मे जगती है कि इस साल तो ज़रूर कुछ नया हम करेंगे. बहुत से निश्चय हम करते हैं.
यूँ समझिए कि 'एक्शन पॉइंट' स्तंभ उम्मीदों के इस सफ़र में आपका साथी है.
मैं आपसे कुछ नये सवाल पूछूँगा, पुरानी धारणाओं को चुनौती दूँगा और ज़िंदगी को देखने के नये नज़रियों से आपको रूबरू कराऊंगा.
तो आइए शुरू करते हैं एक छोटी सी पहेली से. ध्यान से पढ़िएगा, ये पहेली ज़िंदगी बदल सकती है:
एक बगीचा था. जिसमे था एक घना पीपल का पेड़. पत्ते हरे चमकदार. हर शाम जब पक्षी लौटते तो बड़ा कलरव मचता.
ऐसी ही एक शाम 50 तोते
और 50 कौवे पेड़ पर मौज़ूद थे.
20 गिलहरियाँ इधर से उधर दौड़ रहीं थी. कभी इस शाख पे तो कभी उस शाख पे.
अचानक एक शिकारी आया और उसने अपनी बंदूक तान दी. गिलहरियों ने मिचमिची आँखों से उसे देखा और तेज़ी से दौड़ के पेड़ की एक दरार मे छुप गईं.
लेकिन कौवे एक हड्डी के लिए नोचखंसोट कर रहे थे. उन्होंने उस शिकारी को देखा ही नहीं.
तोते सतर्क थे और उन्होंने शिकारी को देखते ही तुरंत उड़ने का निश्चय कर लिया.
अब बिना आगे पढ़े ये बताइए कि पेड़ पर कितने पक्षी बचे?
कुछ लोग कहेंगे कि गिलहरियाँ तो पक्षी नहीं होतीं इसलिए जवाब होगा: 50 कौवे बचे.
अगर आपने ऐसी पहेली सुनी है तो आप कहेंगे बंदूक की आवाज़ से सभी पक्षी उड़ जाएँगे. यानी एक भी पक्षी पेड़ पर नहीं बचेगा.
ये दोनों जवाब सही नहीं हैं! क्योंकि सभी 100 पक्षी पेड़ पर ही हैं!
शिकारी ने बंदूक तानी लेकिन गोली अभी चली नहीं है. इसलिए ना आवाज़ होगी, ना पक्षी उड़ेंगे.
अब सवाल उठेगा कि तोतों ने तो उड़ने का निश्चय कर लिया था?
जी हाँ! मगर उन्होने सिर्फ़ निश्चय किया. वो उड़े नहीं! और इसी में इस पहेली की असली सीख है!
जब तक हमारे निश्चयों और निर्णयों में ऐक्शन शामिल नहीं होता वो निर्णय अर्थहीन हैं. बिना ऐक्शन कुछ भी बदलता नहीं. इसीलिए तो हर साल की शुरुआत में लोग जो प्रण करते हैं वो प्रण ही रह जाते हैं..
एक्शन पॉइंट:
तो बताइए आपने क्या निश्चय किए हैं इस वर्ष के लिए? उनको आप ऐक्शन में कैसे परिवर्तित करेंगे? कल नहीं, आज उसके लिए पहला कदम क्या उठाएँगे?
एक्शन को ज़िंदगी में शामिल कीजिए. हम ऐसा करेंगे, तभी असली बदलाव आएँगे. फिर सिर्फ़ तारीख नही बदलेगी, ज़िंदगी बदलेगी!
तो आइए इस नये वर्ष में उड़ने की सिर्फ़ सोचे नहीं, पंख फ़ैलाएँ और उड़ जाएँ!